आरती बाबू महाराज की

आरती बाबू महाराज
ऊँ जय बाबू देवा स्वामी जय बाबू देवा,ज्योतेश्वर भगवान हमारौ पार करौ खेवा।ऊँ जय
निर्गुण सर्वगुण तुम दोऊन में स्वमं ब्रह्म स्वामी, बाबू नाम ब्रह्म को टेरै तुम अन्तर्यामी।ऊँ जय।
भरने नीर गई चम्बल में सीया करहानी, अस्सी वरस की उमर बोल रही जल मैं ते बानी।ऊँ जय।
सीया सीया जल से बोले वंश चलावेंगो, दिन ऊगत गगन लै अईयो घर तेरे आवेंगो। ऊँ जय।
छिपकर के जल मेंते मोकूँ टेर रयो भईया, पीहर और सासरे नाये कोई डूब रही नईया।ऊँ जय।
दीनदुखी व्याकुल प्रभु देखे फिर बोले जल से, अलख वचन झूठे नहीं जायेंगे सत्य कहूँ तुमसे।ऊँ जय।
गागर भर धरि के राबर में गऊशाला आयी, अलख वचन की सवरी लीला साधुऐ समझाई।ऊँ जय।
तुम तो सीया भयी बावरी साधु समझावै, अस्सी वरस की उमर हमारी डूवैगी नावै।ऊँ जय।
नाहीं करी परी हट सीया चम्बल पर आये, दिन ऊगत के खडे पार पे बारह बज आये।ऊँ जय।
साधु कहै बताय अब सीया बोलन हारे हैं, दुनिया हसी हसाय दयी तुमने जुलम गुजारे हैं।ऊँ जय।
गऊ बछडा सब भूखे प्यासे बँध रहे गऊशाला, झूटी पडी खिस्यागई सीया भैराय गयी ज्वाला।ऊँ जय।
गुलमटिया छाती ते बाँधी मरन समारयो है, राम राम अखीरी साधु नै ये वचन उचारयो है।ऊँ जय।
साधु सोच विचार नार में झटपट सिल डारी, संग ही जल में धँसे जगईयो बाबू लट्धारी।ऊँ जय।
हेडा उठ के बँधे तुरंगा उडन लगे फ्वारे, जगमग जोत जली है चम्बल में तुमने दुख तारे।ऊँ जय।
बालक रूप भेक सन्यासी तुमने रूप धरे, नवे मास सीया बालक होंगे जल में वचन भरे।ऊँ जय।
चंदा सूरज तारे रहेंगे त्यारें ही रहैंगौ, जो कोई मेरौ भजन करैगौ वंश चलावेंगौ।ऊँ जय।
काया ठीक करूँ कुष्टन की नित प्रत भजन करै, मनोकामना पूरण हो जाये कबहूँ न बिपत परै।ऊँ जय।
जय जय सिद्ध गरीब तुम्हारी जय जय तेरी भुमिया, रतीराम रत्नों की जय जय जस गावै दुनिया।ऊँ जय।
रसीलपुर है शरण तुम्हारी भगतजी में आवै, हम तो नाथ जीव कलयुग के दास तेरौ गावै।ऊँ जय।
मात पिता गुरदेव हमारे शरण गहैं किसकी, तोयै छोड कहाँ जाँय बैरागी आस करैं जिसकी।ऊँ जय।
जय जय चम्बल के सुमन शरण में लीजे नाथ हरे, जो कोई तेरी शरण में आवै सब दुख होयै परे।ऊँ जय।
हाथ जोडकर करूँ आरती अरजी सुन लीजो, अलख बाबू देव हमें अब दर्शन दै दीजो। ऊँ जय ।

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